श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 6: पुरुष सूक्त की पुष्टि  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  2.6.18 
 
 
सोऽमृतस्याभयस्येशो मर्त्यमन्नं यदत्यगात् ।
महिमैष ततो ब्रह्मन् पुरुषस्य दुरत्यय: ॥ १८ ॥
 
अनुवाद
 
  सर्वोच्च पुरुषोत्तम भगवान् अमरता और निर्भयता के नियंत्रक हैं। वो मृत्यु और भौतिक संसार के कामुक कर्मों से परे हैं। इसलिए हे नारद, हे ब्राह्मण, सर्वोच्च पुरुष के गुणों को मापना कठिन है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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