वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति
»
अध्याय 5: समस्त कारणों के कारण
»
श्लोक 38
श्लोक
2.5.38
भूर्लोक: कल्पित: पद्भ्यां भुवर्लोकोऽस्य नाभित: ।
हृदा स्वर्लोक उरसा महर्लोको महात्मन: ॥ ३८ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
पृथ्वी तल तक के सारे निचले लोकों को उनके पैरों में स्थित बताया गया है। भुवर्लोक इत्यादि मध्य लोक उनके नाभि में स्थित हैं और इनसे भी ऊँचे हैं वो लोक, जिसमें देवता और उच्च संस्कृति वाले ऋषि-मुनि रहते हैं। वे लोक भगवान के सीने में स्थित हैं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.