श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 5: समस्त कारणों के कारण  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  2.5.15 
 
 
नारायणपरा वेदा देवा नारायणाङ्गजा: ।
नारायणपरा लोका नारायणपरा मखा: ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  सारे वैदिक ग्रंथ परमेश्वर से ही बने हैं और उन्हीं के लिए बने हैं। देवता भी भगवान् के शरीर के अंगों की तरह उन्हीं की सेवा के लिए बने हैं। विभिन्न लोक भी भगवान् के लिए हैं और विभिन्न यज्ञ उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए किये जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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