महाराज परीक्षित ने कहा : हे विद्वान ब्राह्मण, आप भौतिक दूषण से रहित होने के कारण सब कुछ जानते हैं, इसीलिए आपने मुझसे जो कुछ भी कहा है, वह मुझे पूर्ण रूप से उचित लगता है। आपकी बातें धीरे-धीरे मेरे अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर रही हैं, क्योंकि आप भगवान की कथाएँ सुना रहे हैं।