श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 4: सृष्टि का प्रक्रम  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  2.4.23 
 
 
भूतैर्महद्भिर्य इमा: पुरो विभु-
र्निर्माय शेते यदमूषु पूरुष: ।
भुङ्क्ते गुणान् षोडश षोडशात्मक:
सोऽलङ्‌कृषीष्ट भगवान् वचांसि मे ॥ २३ ॥
 
अनुवाद
 
  तत्वों द्वारा निर्मित शरीरों में अवस्थित तथा ब्रह्माण्ड में लेटे हुए, जो प्राणिमय बनाते हैं और जो अपने पुरुष-अवतार में जीव को भौतिक गुणों के सोलह विभागों को, जो जीव के जनक रूप हैं, अधीन करते हैं, वे पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् मेरे प्रवचनों को अलंकृत करने के लिए अनुग्रह करें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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