तदश्मसारं हृदयं बतेदं
यद् गृह्यमाणैर्हरिनामधेयै: ।
न विक्रियेताथ यदा विकारो
नेत्रे जलं गात्ररुहेषु हर्ष: ॥ २४ ॥
अनुवाद
निश्चय ही वह हृदय पत्थर के समान है, जो एकाग्र होकर प्रभु के पवित्र नाम का जाप करने पर भी नहीं बदलता; जब हर्ष होता है, तो आँखों में आँसू नहीं छलकते और शरीर के रोम-रोम पुलकित नहीं होते।