वैयासकिश्च भगवान् वासुदेवपरायण: ।
उरुगायगुणोदारा: सतां स्युर्हि समागमे ॥ १६ ॥
अनुवाद
व्यासपुत्र शुकदेव गोस्वामी भी दिव्य ज्ञान से परिपूर्ण थे और वसुदेव-पुत्र भगवान कृष्ण के महान भक्त भी थे। इसलिए भगवान कृष्ण पर अवश्य चर्चा होती रही होगी, क्योंकि बड़े-बड़े दार्शनिकों और महान भक्तों की सभा में कृष्ण के गुणों का गुणगान होता ही रहता है।