अकाम: सर्वकामो वा मोक्षकाम उदारधी: ।
तीव्रेण भक्तियोगेन यजेत पुरुषं परम् ॥ १० ॥
अनुवाद
अपनी बुद्धि का विस्तार करने वाले व्यक्ति को, चाहे वह भौतिक इच्छाओं से भरा हो, बिना भौतिक इच्छाओं में फंसे हो या मुक्ति की इच्छा रखता हो, उसे सभी प्रकार से पूर्ण ईश्वर की पूजा करनी चाहिए।