श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 10: भागवत सभी प्रश्नों का उत्तर है  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  2.10.7 
 
 
आभासश्च निरोधश्च यतोऽस्त्यध्यवसीयते ।
स आश्रय: परं ब्रह्म परमात्मेति शब्द्यते ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  जो परम पुरुष अथवा परमात्मा कहलाते हैं, वे ही दृश्य जगत के सर्वश्रेष्ठ स्रोत, इसके आश्रय और अंत हैं। इस प्रकार वे सर्वश्रेष्ठ सत्य हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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