श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 10: भागवत सभी प्रश्नों का उत्तर है  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  2.10.5 
 
 
अवतारानुचरितं हरेश्चास्यानुवर्तिनाम् ।
पुंसामीशकथा: प्रोक्ता नानाख्यानोपबृंहिता: ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  ईश-कथा श्री भगवान के विविध अवतारों और उनकी लीलाओं के साथ-साथ उनके परम भक्तों के कार्यकलापों का वर्णन करती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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