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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति
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अध्याय 10: भागवत सभी प्रश्नों का उत्तर है
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श्लोक 19
श्लोक
2.10.19
विवक्षोर्मुखतो भूम्नो वह्निर्वाग् व्याहृतं तयो: ।
जले चैतस्य सुचिरं निरोध: समजायत ॥ १९ ॥
अनुवाद
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जब परम पिता बोले तो मुँह से वाणी उभरी। फिर मुँह से देव अग्नि निर्मित हुए। पर जब वो जल में लेटे तब ये सब कार्य बंद पड़ गये।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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