महाविष्णु के दिव्य शरीर के भीतर स्थित आकाश सर्वप्रथम इंद्रिय बल यानी ज्ञानेंद्रियों की शक्ति, मानसिक बल यानी बुद्धि और स्मरण की शक्ति, और शारीरिक बल यानी क्रिया करने की शक्ति उत्पन्न करता है। इन सभी के साथ-साथ सम्पूर्ण जीवनी शक्ति (प्राण), का मूल स्रोत भी आकाश से ही उत्पन्न होता है।