श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 10: भागवत सभी प्रश्नों का उत्तर है  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  2.10.1 
 
 
श्रीशुक उवाच
अत्र सर्गो विसर्गश्च स्थानं पोषणमूतय: ।
मन्वन्तरेशानुकथा निरोधो मुक्तिराश्रय: ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  श्रीशुकदेव गोस्वामी ने कहा- इस श्रीमद्भागवत में दस विभाग हैं, जो ब्रह्माण्ड की रचना, सृजन में भिन्न-भिन्न रूप से हुए परिवर्तन, लोक-प्रणालियाँ, भगवान द्वारा पालन-पोषण, सृजन की प्रेरणा, मनुओं का परिवर्तन, ईश्वरीय ज्ञान, अपने घर-भगवद्धाम की यात्रा, मुक्ति तथा आश्रय से सम्बन्धित हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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