श्रीशुकदेव गोस्वामी ने कहा- इस श्रीमद्भागवत में दस विभाग हैं, जो ब्रह्माण्ड की रचना, सृजन में भिन्न-भिन्न रूप से हुए परिवर्तन, लोक-प्रणालियाँ, भगवान द्वारा पालन-पोषण, सृजन की प्रेरणा, मनुओं का परिवर्तन, ईश्वरीय ज्ञान, अपने घर-भगवद्धाम की यात्रा, मुक्ति तथा आश्रय से सम्बन्धित हैं।