श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 1: ईश अनुभूति का प्रथम सोपान  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  2.1.8 
 
 
इदं भागवतं नाम पुराणं ब्रह्मसम्मितम् ।
अधीतवान् द्वापरादौ पितुर्द्वैपायनादहम् ॥ ८ ॥
 
अनुवाद
 
  द्वापर युग के अंत में, मैंने अपने पिता श्रील द्वैपायन व्यासदेव से श्रीमद्भागवत नामक वेदों के बराबर के इस महान वैदिक साहित्य के अनुपूरक ग्रंथ का अध्ययन किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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