श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 1: ईश अनुभूति का प्रथम सोपान  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  2.1.7 
 
 
प्रायेण मुनयो राजन्निवृत्ता विधिषेधत: ।
नैर्गुण्यस्था रमन्ते स्म गुणानुकथने हरे: ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजा परीक्षित, मुख्य रूप से सर्वोच्च अध्यात्मवादी, जो नियम-निर्देशों और प्रतिबंधों से ऊपर हैं, प्रभु के गुणों का वर्णन करने में आनंद लेते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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