शुकदेव गोस्वामी ने उत्तर दिया: मनुष्य को चाहिए कि आसन को नियंत्रित करना चाहिए, प्राणायाम द्वारा श्वास-क्रिया को नियमित करना चाहिए और इस तरह मन और इन्द्रियों को वश में करना चाहिए। इसके पश्चात बुद्धिपूर्वक मन को भगवान् की स्थूल शक्तियों (विराट रूप) में लगाना चाहिए।