श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 1: ईश अनुभूति का प्रथम सोपान  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  2.1.14 
 
 
तवाप्येतर्हि कौरव्य सप्ताहं जीवितावधि: ।
उपकल्पय तत्सर्वं तावद्यत्साम्परायिकम् ॥ १४ ॥
 
अनुवाद
 
  हे महाराज परीक्षित, अब आपकी आयु के मात्र सात दिन अवशेष हैं। अतः, इस अवधि में आप उन समस्त संस्कारों और अनुष्ठानों को पूर्ण कर सकते हैं जो आपके अगले जीवन के परम कल्याण के लिए आवश्यक हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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