श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 1: ईश अनुभूति का प्रथम सोपान  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  2.1.13 
 
 
खट्‍वाङ्गो नाम राजर्षिर्ज्ञात्वेयत्तामिहायुष: ।
मुहूर्तात्सर्वमुत्सृज्य गतवानभयं हरिम् ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  राजर्षि खट्वांग को जब यह समाचार मिला कि उनकी आयु का सिर्फ़ एक पल शेष है, तो उन्होंने तुरंत ही अपने आपको समस्त भौतिक कार्यकलापों से मुक्त करके परम रक्षक श्री भगवान की शरण में जा छिपे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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