बभ्रु: शिष्योऽथाङ्गिरस: सैन्धवायन एव च ।
अधीयेतां संहिते द्वे सावर्णाद्यास्तथापरे ॥ ३ ॥
अनुवाद
शुनक के शिष्यों बभ्रु और सैधवायन ने अपने गुरु के द्वारा संकलित अथर्ववेद के दोनों भागों का अध्ययन किया। सैन्धवायन के शिष्य सावर्ण और अन्य महर्षियों के शिष्यों ने भी अथर्ववेद के इसी संस्करण का अध्ययन किया।