सूत उवाच
इत्युक्तस्तमनुज्ञाप्य भगवान् बादरायणि: ।
जगाम भिक्षुभि: साकं नरदेवेन पूजित: ॥ ८ ॥
अनुवाद
सूत गोस्वामी ने बताया : जब इस प्रकार राजा परीक्षित ने विनती की, तब श्रील व्यासदेव के पुत्र शुकदेव ने उन्हें अनुमति दे दी। तत्पश्चात् राजा और वहाँ उपस्थित सभी मुनियों ने शुकदेव जी की पूजा की और उसके पश्चात शुकदेव उस स्थान से विदा हो गए।