श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 6: महाराज परीक्षित का निधन  »  श्लोक 73
 
 
श्लोक  12.6.73 
 
 
सूत उवाच
एवं स्तुत: स भगवान् वाजिरूपधरो रवि: ।
यजूंष्ययातयामानि मुनयेऽदात् प्रसादित: ॥ ७३ ॥
 
अनुवाद
 
  सूत गोस्वामी ने कहा: ऐसी स्तुति सुनकर शक्तिशाली सूर्य देवता प्रसन्न हुए। उन्होंने घोड़े का रूप धारण किया और याज्ञवल्क्य ऋषि को वे यजुर्वेद मंत्र प्रदान किए जो पहले मानव समाज में अज्ञात थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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