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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग
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अध्याय 6: महाराज परीक्षित का निधन
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श्लोक 7
श्लोक
12.6.7
अज्ञानं च निरस्तं मे ज्ञानविज्ञाननिष्ठया ।
भवता दर्शितं क्षेमं परं भगवत: पदम् ॥ ७ ॥
अनुवाद
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आपने मुझे भगवान के परम मंगलमय साकार रूप का साक्षात्कार कराया है। अब मेरा ज्ञान और आत्म-साक्षात्कार दृढ़ हो गया है, और मेरा अज्ञान मिट गया है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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