श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 6: महाराज परीक्षित का निधन  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  12.6.5 
 
 
भगवंस्तक्षकादिभ्यो मृत्युभ्यो न बिभेम्यहम् ।
प्रविष्टो ब्रह्म निर्वाणमभयं दर्शितं त्वया ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  हे प्रभु, अब मुझे तक्षक या अन्य जीवों का अथवा बार-बार मृत्यु का भी भय नहीं रहा है, क्योंकि मैंने स्वयं को उस विशुद्ध आध्यात्मिक परम सत्य में समर्पित कर दिया है, जिसे आपने प्रकट किया है और जो सभी भयों को नष्ट कर देता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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