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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग
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अध्याय 6: महाराज परीक्षित का निधन
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श्लोक 38
श्लोक
12.6.38
यदुपासनया ब्रह्मन् योगिनो मलमात्मन: ।
द्रव्यक्रियाकारकाख्यं धूत्वा यान्त्यपुनर्भवम् ॥ ३८ ॥
अनुवाद
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हे ब्राह्मण, वेदों के इस रहस्यमयी स्वरूप की पूजा करके योगीजन पदार्थ, कर्म और कर्ता की अशुद्धता से उत्पन्न समस्त पापों से अपने हृदयों को निर्मल बनाते हैं और इस तरह से वे जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर लेते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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