श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 5: महाराज परीक्षित को शुकदेव गोस्वामी का अन्तिम उपदेश  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  12.5.6 
 
 
मन: सृजति वै देहान् गुणान् कर्माणि चात्मन: ।
तन्मन: सृजते माया ततो जीवस्य संसृति: ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  आत्मा के भौतिक शरीर, गुण और कर्म भौतिक मन से उत्पन्न होते हैं। मन स्वयं ईश्वर की मायाशक्ति से उत्पन्न होता है और इस प्रकार आत्मा भौतिक अस्तित्व ग्रहण करता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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