मन: सृजति वै देहान् गुणान् कर्माणि चात्मन: ।
तन्मन: सृजते माया ततो जीवस्य संसृति: ॥ ६ ॥
अनुवाद
आत्मा के भौतिक शरीर, गुण और कर्म भौतिक मन से उत्पन्न होते हैं। मन स्वयं ईश्वर की मायाशक्ति से उत्पन्न होता है और इस प्रकार आत्मा भौतिक अस्तित्व ग्रहण करता है।