श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 4: ब्रह्माण्ड के प्रलय की चार कोटियाँ  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  12.4.7 
 
 
पर्जन्य: शतवर्षाणि भूमौ राजन् न वर्षति ।
तदा निरन्ने ह्यन्योन्यं भक्ष्यमाणा: क्षुधार्दिता: ।
क्षयं यास्यन्ति शनकै: कालेनोपद्रुता: प्रजा: ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजा, जैसे-जैसे प्रलय नजदीक आती जाएगी, वैसे-वैसे पृथ्वी पर सौ वर्षों तक वर्षा नहीं होगी। सूखे के कारण अकाल पड़ जाएगा और भूख से मरने वाली जनता सचमुच में एक-दूसरे को खा जाएगी। पृथ्वी के निवासी समय की शक्ति से विचलित होकर धीरे-धीरे नष्ट हो जाएँगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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