श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 4: ब्रह्माण्ड के प्रलय की चार कोटियाँ  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  12.4.42 
 
 
स वै मह्यं महाराज भगवान् बादरायण: ।
इमां भागवतीं प्रीत: संहितां वेदसम्मिताम् ॥ ४२ ॥
 
अनुवाद
 
  हे महाराज पर्विक्षत, श्रील व्यासदेव ने मुझे उसी शास्त्र श्रीमद्भागवत की शिक्षा दी जो चारों वेदों के समान ही महान है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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