श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 3: भूमि गीत  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  12.3.8 
 
 
ममैवेयं मही कृत्स्‍ना न ते मूढेति वादिन: ।
स्पर्धमाना मिथो घ्नन्ति म्रियन्ते मत्कृते नृपा: ॥ ८ ॥
 
अनुवाद
 
  “राजनीतिक लोग एक-दूसरे को चुनौती देते हैं: ‘यह सारी ज़मीन मेरी है। मूर्ख, यह तुम्हारी नहीं!’ इस प्रकार वे एक-दूसरे पर आक्रमण करते हैं और मर जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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