समुद्रावरणां जित्वा मां विशन्त्यब्धिमोजसा ।
कियदात्मजयस्यैतन्मुक्तिरात्मजये फलम् ॥ ५ ॥
अनुवाद
ये घमंडी राजा मेरे तल पर सारी जमीन को जीत लेने के बाद, समुद्र को जीतने की कोशिश में ज़बरदस्ती समुद्र में उतरते हैं। उनका यह आत्मसंयम, जिसका लक्ष्य है राजनीतिक शोषण, क्या काम का है? आत्मसंयम का असली उद्देश्य आत्मिक मुक्ति है।