श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 3: भूमि गीत  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  12.3.43 
 
 
कलौ न राजन्जगतां परं गुरुं
त्रिलोकनाथानतपादपङ्कजम् ।
प्रायेण मर्त्या भगवन्तमच्युतं
यक्ष्यन्ति पाषण्डविभिन्नचेतस: ॥ ४३ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजा, कलियुग में लोगों का ज्ञान नास्तिकता की ओर मुड़ जाएगा और वे ब्रह्मांड के परम अध्यात्मिक गुरु भगवान को लगभग कभी भी बलिदान नहीं देंगे। यद्यपि तीनों लोकों को नियंत्रित करने वाले महान व्यक्तित्व सभी सर्वोच्च भगवान के चरणों में नमन करते हैं, परंतु इस युग के क्षुद्र और दुखी मनुष्य ऐसा नहीं करेंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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