श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 3: भूमि गीत  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  12.3.27 
 
 
प्रभवन्ति यदा सत्त्वे मनोबुद्धीन्द्रियाणि च ।
तदा कृतयुगं विद्याज्ज्ञाने तपसि यद् रुचि: ॥ २७ ॥
 
अनुवाद
 
  जब मन, बुद्धि और इंद्रियाँ पूरी तरह से सतोगुण में स्थित होती हैं, तो उस काल को सत्ययुग समझना चाहिए। तब लोग ज्ञान और तपस्या में रुचि लेते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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