श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 3: भूमि गीत  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  12.3.22 
 
 
तप:सत्यदयादानेष्वर्धं ह्रस्वति द्वापरे ।
हिंसातुष्टय‍नृतद्वेषैर्धर्मस्याधर्मलक्षणै: ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  द्वापर युग में, तपस्या, सत्य, दया और दान के धार्मिक गुणों को उनके विपरीत अधार्मिक गुणों - असंतोष, असत्य, हिंसा और शत्रुता - द्वारा आधा कर दिया जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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