श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 3: भूमि गीत  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  12.3.15 
 
 
यस्तूत्तम:श्लोकगुणानुवाद:
सङ्गीयतेऽभीक्ष्णममङ्गलघ्न: ।
तमेव नित्यं श‍ृणुयादभीक्ष्णं
कृष्णेऽमलां भक्तिमभीप्समान: ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  जो व्यक्ति भगवान कृष्ण की शुद्ध भक्ति चाहता है, उसे भगवान उत्तमश्लोक के यशपूर्ण गुणों की कथाएँ श्रवण करनी चाहिए, जिनका निरंतर कीर्तन सभी अशुभताओं का नाश कर देता है। भक्तों को नियमित दैनिक सभाओं में इस श्रवण में संलग्न होना चाहिए और दिन भर इसी में लगे रहना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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