कथा इमास्ते कथिता महीयसां
विताय लोकेषु यश: परेयुषाम् ।
विज्ञानवैराग्यविवक्षया विभो
वचोविभूतीर्न तु पारमार्थ्यम् ॥ १४ ॥
अनुवाद
शुकदेव गोस्वामी बोले : हे पराक्रमी परीक्षित, मैंने तुम्हें इन सब महान राजाओं की कथा सुनाई जो सारे संसार में अपनी कीर्ति फैलाकर चले गये। मेरा मुख्य उद्देश्य तो दिव्य ज्ञान और वैराग्य की शिक्षा देना था। राजाओं की कथाएँ इन वृत्तान्तों में शक्ति और ऐश्वर्य लाती हैं, पर वे स्वयं ज्ञान के परम अंश से युक्त नहीं हैं।