श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 13: श्रीमद्भागवत की महिमा  »  श्लोक 4-9
 
 
श्लोक  12.13.4-9 
 
 
ब्राह्मं दशसहस्राणि पाद्मं पञ्चोनषष्टि च ।
श्रीवैष्णवं त्रयोविंशच्चतुर्विंशति शैवकम् ॥ ४ ॥
दशाष्टौ श्रीभागवतं नारदं पञ्चविंशति ।
मार्कण्डं नव वाह्नं च दशपञ्च चतु:शतम् ॥ ५ ॥
चतुर्दश भविष्यं स्यात्तथा पञ्चशतानि च ।
दशाष्टौ ब्रह्मवैवर्तं लैङ्गमेकादशैव तु ॥ ६ ॥
चतुर्विंशति वाराहमेकाशीतिसहस्रकम् ।
स्कान्दं शतं तथा चैकं वामनं दश कीर्तितम् ॥ ७ ॥
कौर्मं सप्तदशाख्यातं मात्स्यं तत्तु चतुर्दश ।
एकोनविंशत्सौपर्णं ब्रह्माण्डं द्वादशैव तु ॥ ८ ॥
एवं पुराणसन्दोहश्चतुर्लक्ष उदाहृत: ।
तत्राष्टदशसाहस्रं श्रीभागवतमिष्यते ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  ब्रह्म पुराण में दस हज़ार श्लोक, पद्म पुराण में पचपन हज़ार श्लोक, श्री विष्णु पुराण में तेईस हज़ार श्लोक, शिव पुराण में चौबीस हज़ार श्लोक और श्रीमद्भागवत में अठारह हज़ार श्लोक हैं। नारद पुराण में पच्चीस हज़ार श्लोक हैं, मार्कण्डेय पुराण में नौ हज़ार श्लोक हैं, अग्नि पुराण में पंद्रह हज़ार चार सौ श्लोक हैं, भविष्य पुराण में चौदह हज़ार पाँच सौ श्लोक हैं, ब्रह्मवैवर्त पुराण में अठारह हज़ार श्लोक हैं और लिंग पुराण में ग्यारह हज़ार श्लोक हैं। वराह पुराण में चौबीस हज़ार श्लोक हैं, स्कंद पुराण में इक्यासी हज़ार एक सौ श्लोक हैं, वामन पुराण में दस हज़ार श्लोक हैं, कूर्म पुराण में सत्रह हज़ार श्लोक हैं, मत्स्य पुराण में चौदह हज़ार श्लोक हैं, गरुड़ पुराण में उन्नीस हज़ार श्लोक हैं और ब्रह्मांड पुराण में बारह हज़ार श्लोक हैं। इस तरह समस्त पुराणों की कुल श्लोक संख्या चार लाख है। पुन: इनमें से अठारह हज़ार श्लोक अकेले श्रीमद्भागवत के हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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