श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 13: श्रीमद्भागवत की महिमा  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  12.13.3 
 
 
पुराणसङ्ख्यासम्भूतिमस्य वाच्यप्रयोजने ।
दानं दानस्य माहात्म्यं पाठादेश्च निबोधत ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  अब कृपया सभी पुराणों के श्लोक संख्या का संक्षेप में विवरण सुनिए। तब इस भागवत पुराण के मूल विषय तथा उद्देश्य, इसे भेंट में देने की समुचित पद्धति, इस तरह की भेंट देने का महत्त्व और अंततः इस ग्रंथ के श्रवण तथा गायन का महत्त्व सुनिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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