श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 13: श्रीमद्भागवत की महिमा  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  12.13.22 
 
 
भवे भवे यथा भक्ति: पादयोस्तव जायते ।
तथा कुरुष्व देवेश नाथस्त्वं नो यत: प्रभो ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  हे ईशों के ईश, हे स्वामी, आप कृपा करके हमें जन्म-जन्मांतर तक अपने चरण-कमलों की शुद्ध भक्ति का वरदान प्रदान करें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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