श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 13: श्रीमद्भागवत की महिमा  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  12.13.14 
 
 
राजन्ते तावदन्यानि पुराणानि सतां गणे ।
यावद्भ‍ागवतं नैव श्रूयतेऽमृतसागरम् ॥ १४ ॥
 
अनुवाद
 
  अन्य सभी पुराण तभी तक संत भक्तों की सभा में चमकते हैं जब तक कि श्रीमद्भागवत, जो अमृत का महासागर है, को नहीं सुना जाता।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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