श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 13: श्रीमद्भागवत की महिमा  »  श्लोक 11-12
 
 
श्लोक  12.13.11-12 
 
 
आदिमध्यावसानेषु वैराग्याख्यानसंयुतम् ।
हरिलीलाकथाव्रातामृतानन्दितसत्सुरम् ॥ ११ ॥
सर्ववेदान्तसारं यद ब्रह्मात्मैकत्वलक्षणम् ।
वस्त्वद्वितीयं तन्निष्ठं कैवल्यैकप्रयोजनम् ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  श्रीमद्भागवत में शुरू से अंत तक ऐसी कथाएँ भरी पड़ी हैं जो सांसारिक मोह-माया से दूर ले जाती हैं। साथ ही, इसमें भगवान हरि की दिव्य लीलाओं का अमृत जैसा वर्णन मिलता है जो सज्जनों और देवताओं को आनंद से भर देता है। यह भागवत वेदांत दर्शन का सार है क्योंकि इसका विषय पूर्ण ब्रह्म है जो आत्मा से अभिन्न होते हुए भी अकेला परम सत्य है। इस ग्रंथ का लक्ष्य पूर्ण ब्रह्म की एकमात्र भक्ति है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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