श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 11: महापुरुष का संक्षिप्त वर्णन  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  12.11.9 
 
 
यावानयं वै पुरुषो यावत्या संस्थया मित: ।
तावानसावपि महापुरुषो लोकसंस्थया ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  जिस प्रकार इस संसार के एक साधारण व्यक्ति के आकार-प्रकार को उसके विभिन्न अंगों को नापकर निर्धारित किया जा सकता है, उसी प्रकार महापुरुष के विराट रूप के भीतर लोकों की व्यवस्था को मापकर महापुरुष के आकार-प्रकार को जाना जा सकता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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