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श्रीमद् भागवतम
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अध्याय 11: महापुरुष का संक्षिप्त वर्णन
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श्लोक 38
श्लोक
12.11.38
विवस्वानुग्रसेनश्च व्याघ्र आसारणो भृगु: ।
अनुम्लोचा शङ्खपालो नभस्याख्यं नयन्त्यमी ॥ ३८ ॥
अनुवाद
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नभस्य के महीने में सूर्य देवता विवस्वान, गंधर्व के रूप में उग्रसेन, राक्षस के रूप में व्याघ्र, यक्ष के रूप में आसारण, ऋषि के रूप में भृगु, अप्सरा के रूप में अनुम्लोचा और नाग के रूप में शंखपाल शासन करते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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