श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 11: महापुरुष का संक्षिप्त वर्णन  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  12.11.35 
 
 
मित्रोऽत्रि: पौरुषेयोऽथ तक्षको मेनका हहा: ।
रथस्वन इति ह्येते शुक्रमासं नयन्त्यमी ॥ ३५ ॥
 
अनुवाद
 
  शुक्र मास पर, सूर्य देव रूपी मित्र, ऋषि रूपी अत्रि, राक्षस रूपी पौरुषेय, नाग रूपी तक्षक, अप्सरा रूपी मेनका, गंधर्व रूपी हहा और यक्ष रूपी रथस्वन शासन करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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