श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 11: महापुरुष का संक्षिप्त वर्णन  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  12.11.33 
 
 
धाता कृतस्थली हेतिर्वासुकी रथकृन्मुने ।
पुलस्त्यस्तुम्बुरुरिति मधुमासं नयन्त्यमी ॥ ३३ ॥
 
अनुवाद
 
  हे मुनि, मधु महीने में सूर्य देव के रूप में धाता, अप्सरा के रूप में कृतस्थली, राक्षस के रूप में हेति, नाग के रूप में वासुकि, यक्ष के रूप में रथकृत, मुनि के रूप में पुलस्त्य और गंधर्व के रूप में तुम्बुरु शासन करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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