श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 11: महापुरुष का संक्षिप्त वर्णन  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  12.11.13 
 
 
अव्याकृतमनन्ताख्यमासनं यदधिष्ठित: ।
धर्मज्ञानादिभिर्युक्तं सत्त्वं पद्ममिहोच्यते ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान का सिंहासन, अनंत, भौतिक प्रकृति की अव्यक्त अवस्था है और भगवान का कमल सिंहासन, सतोगुण है, जो धर्म और ज्ञान से युक्त है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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