श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 11: महापुरुष का संक्षिप्त वर्णन  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  12.11.10 
 
 
कौस्तुभव्यपदेशेन स्वात्मज्योतिर्बिभर्त्यज: ।
तत्प्रभा व्यापिनी साक्षात् श्रीवत्समुरसा विभु: ॥ १० ॥
 
अनुवाद
 
  श्रीहरि अपने सीने पर शुद्ध आत्मा का प्रतिनिधित्व करने वाली कौस्तुभ मणि को धारण करते हैं जो श्रीवत्स चिह्न है जो इस मणि के विस्तृत तेज का प्रत्यक्ष उदाहरण है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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