श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 10: शिव तथा उमा द्वारा मार्कण्डेय ऋषि का गुणगान  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  12.10.4 
 
 
अथोमा तमृषिं वीक्ष्य गिरिशं समभाषत ।
पश्येमं भगवन् विप्रं निभृतात्मेन्द्रियाशयम् ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  ऋषि को देख कर देवी उमा ने भगवान् गिरिश से कहा, "प्रियतम, यह देखो, ये विद्वान ब्राह्मण समाधि में लीन हैं। उनका शरीर, मन और इंद्रियाँ सभी निश्चल हैं।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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