मैं उस सर्वोच्च भगवान् को नमन करता हूँ जिन्होंने अपनी इच्छा से ही इस महान ब्रह्मांड की रचना की और फिर उसमें परमात्मा के रूप में प्रवेश किया। वे प्रकृति के गुणों को सक्रिय करके इस दुनिया के प्रत्यक्ष निर्माता प्रतीत होते हैं जैसे एक स्वप्न देखने वाला अपने स्वप्नों के अंदर कार्य करता दिखाई पड़ता है। वे प्रकृति के तीनों गुणों के स्वामी और नियंत्रक हैं, फिर भी वे अलग और शुद्ध रहते हैं, उनके जैसा कोई दूसरा नहीं है। वे सभी के सर्वोच्च गुरु हैं और परम सत्य के मूल व्यक्तिगत रूप हैं।