श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 10: शिव तथा उमा द्वारा मार्कण्डेय ऋषि का गुणगान  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  12.10.22 
 
 
न ते मय्यच्युतेऽजे च भिदामण्वपि चक्षते ।
नात्मनश्च जनस्यापि तद् युष्मान् वयमीमहि ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  ये भक्तगण भगवान विष्णु, ब्रह्मा और मुझमें कोई भेद नहीं करते और न ही वे स्वयं और अन्य प्राणियों में भेद करते हैं। इस कारण तुम इस प्रकार के सन्त-भक्त हो इसीलिए हम तुम्हारी पूजा करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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