न ते मय्यच्युतेऽजे च भिदामण्वपि चक्षते ।
नात्मनश्च जनस्यापि तद् युष्मान् वयमीमहि ॥ २२ ॥
अनुवाद
ये भक्तगण भगवान विष्णु, ब्रह्मा और मुझमें कोई भेद नहीं करते और न ही वे स्वयं और अन्य प्राणियों में भेद करते हैं। इस कारण तुम इस प्रकार के सन्त-भक्त हो इसीलिए हम तुम्हारी पूजा करते हैं।