श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 10: शिव तथा उमा द्वारा मार्कण्डेय ऋषि का गुणगान  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  12.10.19 
 
 
श्रीभगवानुवाच
वरं वृणीष्व न: कामं वरदेशा वयं त्रय: ।
अमोघं दर्शनं येषां मर्त्यो यद् विन्दतेऽमृतम् ॥ १९ ॥
 
अनुवाद
 
  शिवजी ने कहा : मुझसे कुछ वर माँगो, क्योंकि वर देने वालों में हम तीनों— ब्रह्मा, विष्णु और मैं—सबसे श्रेष्ठ हैं। हमारा दर्शन व्यर्थ नहीं जाता क्योंकि हमारे दर्शन मात्र से एक मृत्यु लोक का प्राणी अमरता प्राप्त कर लेता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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