श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 9: पूर्ण वैराग्य  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  11.9.5 
 
 
क्व‍‍चित् कुमारी त्वात्मानं वृणानान् गृहमागतान् ।
स्वयं तानर्हयामास क्व‍ापि यातेषु बन्धुषु ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  एक बार की बात है, एक विवाह योग्य युवती अपने घर में अकेली थी क्योंकि उसके माता-पिता और रिश्तेदार उस दिन किसी दूसरी जगह गए हुए थे। उसी समय कुछ लोग उसके घर आए, जो उससे शादी करना चाहते थे। युवती ने उन सभी का स्वागत-सत्कार किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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