क्वचित् कुमारी त्वात्मानं वृणानान् गृहमागतान् ।
स्वयं तानर्हयामास क्वापि यातेषु बन्धुषु ॥ ५ ॥
अनुवाद
एक बार की बात है, एक विवाह योग्य युवती अपने घर में अकेली थी क्योंकि उसके माता-पिता और रिश्तेदार उस दिन किसी दूसरी जगह गए हुए थे। उसी समय कुछ लोग उसके घर आए, जो उससे शादी करना चाहते थे। युवती ने उन सभी का स्वागत-सत्कार किया।